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किताबें इतनी ग़हरी क्यों होती हैं न जाने अपने अंदर

किताबें इतनी ग़हरी क्यों होती हैं
न जाने अपने अंदर कितना कुछ समेटे हुए 
हमारे अधूरेपन को भरती चली जाती हैं,
दे जाती है,
अथाह ज्ञान,ढेर सारा आत्मविश्वास,
 दूसरों से लड़ने की ताक़त, बुलंद हौसले,
एक अच्छा भविष्य, और प्रेम
ये जीवन सुख दुख की साथी होती है 
जो बिना किसी अपेक्षा के हमारे साथ होती है
एक दम सर्मपित होकर जो
 हमारी आने वाली पीढ़ियों का संरक्षण करती है
देती है ढेर सारे संस्कार और गुण... #कहानी#किताबें#विचार
किताबें इतनी ग़हरी क्यों होती हैं
न जाने अपने अंदर कितना कुछ समेटे हुए 
हमारे अधूरेपन को भरती चली जाती हैं,
दे जाती है,
अथाह ज्ञान,ढेर सारा आत्मविश्वास,
 दूसरों से लड़ने की ताक़त, बुलंद हौसले,
एक अच्छा भविष्य, और प्रेम
ये जीवन सुख दुख की साथी होती है 
जो बिना किसी अपेक्षा के हमारे साथ होती है
एक दम सर्मपित होकर जो
 हमारी आने वाली पीढ़ियों का संरक्षण करती है
देती है ढेर सारे संस्कार और गुण... #कहानी#किताबें#विचार