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सच्चाई की आग एक अग्निहोत्र है, छल को पहचानना एक अज

सच्चाई की आग एक अग्निहोत्र है,
छल को पहचानना एक अज़ीज अस्त्र,
झरने की एक बूंद बुझा गई प्यास,
मृगतृष्णा में जो ढूंढ रहे थे स्वाद।। • सादगी •
``````
सच्चाई की धूप में बस जलते रहे,
आबले पड़ गए फ़िर भी चलते रहे।
सादगी ही हमारी सबब बन गई
अपने थे जो वो हम को छलते रहे।

© Sasmita Nayak
सच्चाई की आग एक अग्निहोत्र है,
छल को पहचानना एक अज़ीज अस्त्र,
झरने की एक बूंद बुझा गई प्यास,
मृगतृष्णा में जो ढूंढ रहे थे स्वाद।। • सादगी •
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सच्चाई की धूप में बस जलते रहे,
आबले पड़ गए फ़िर भी चलते रहे।
सादगी ही हमारी सबब बन गई
अपने थे जो वो हम को छलते रहे।

© Sasmita Nayak
sitalakshmi6065

Sita Prasad

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