क्या सुनाऊ तुम्हे दोस्तों उस कुचले गुलाब की दास्ताँ सहमी सी राहों पर, बिखरी पड़ी थी सिमटी हुई, कोशिस कुछ कहने की कर रही थी क्या बताऊ, उस गुलाब की साँसे भी धीमी पड़ रही थी हार मुहब्बत में थी, या शहीदो पर कुर्बान हुई होगी किस्सा जो भी हो, मगर तङप कर बेहद रोइ होगी मेरे वहा से चले जाने के बाद, बची कुची जान भी खोई होगी क्या सुनाऊ, तुम्हे दोस्तों उस कुचले गुलाब की दास्ताँ 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 ✍️✍️✍️🙏🙏🙏 सपना महतो @sapna #rajnandini#