कभी छूकर शिकम की लकीरें भी जिनको जलाती हैं सर्द रातें ये जमिंस्तान कैसा है यूं कि लगते हैं सभी गुल मुरझाए हुए से यहां बिखरा बिन आब के ये गुलिस्तान कैसा है #NojotoQuote THEY AND THEIR HUNGER