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कभी छूकर शिकम की लकीरें भी जिनको जलाती हैं सर्द

कभी छूकर शिकम   की लकीरें भी जिनको 
जलाती हैं सर्द रातें     ये जमिंस्तान कैसा है 

यूं कि लगते हैं सभी गुल मुरझाए हुए से यहां 
बिखरा बिन आब के ये गुलिस्तान कैसा है  #NojotoQuote THEY AND THEIR HUNGER
कभी छूकर शिकम   की लकीरें भी जिनको 
जलाती हैं सर्द रातें     ये जमिंस्तान कैसा है 

यूं कि लगते हैं सभी गुल मुरझाए हुए से यहां 
बिखरा बिन आब के ये गुलिस्तान कैसा है  #NojotoQuote THEY AND THEIR HUNGER
raghav3353183956829

Raghav

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