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ना चांद ना सूरज ना अम्बर से पूंछों जो ढाए सितम

ना चांद ना सूरज  ना  अम्बर  से पूंछों 
जो ढाए सितम उस सितमगर से पूंछों 

बिछड़ने  की तकलीफ़ होती  है कितनी 
ये  जाते  हुए  इस "दिसम्बर" से पूंछों

©Farman Kurawali        shayari sad
ना चांद ना सूरज  ना  अम्बर  से पूंछों 
जो ढाए सितम उस सितमगर से पूंछों 

बिछड़ने  की तकलीफ़ होती  है कितनी 
ये  जाते  हुए  इस "दिसम्बर" से पूंछों

©Farman Kurawali        shayari sad