बेड़ियां ख्वाहिशों को लेकर उड़ना था मुझे पर जरूरतों ने मेरे पंख कतर डाले जब गिरा जमीन पे तब जिमेदारियों ने मेरे पैरों को बेड़ियों से जकड़ डाले और इन बेजान बेड़ियों ने मेरी जिंदगी के जीने के सारे मायने बदल डाले - राशि ©Rashi बेडिया #Bediyan #जरूरत #jaroorat #hindi_poetry #RakeshShinde #hindikavita #hindi_shayari #Shaayari