"लोगों ने मुझे फिर झुकाया है, मेरी मजबूरियों का सरेआम मजाक बनाया है! हमारी ही महफ़िल में हमे नौकर बताया, थक गया हूँ अब खुद से लड़-लड़ कर, टूट चुकी है ख्वाइशें राहों में गिर-गिर कर! अब रुक जाना ही मुनासिब होगा, जो बचा है उसे समेटना ही मुनासिब होगा"! #nojotowriter #writerofig #instagram #poetry #rain #feelings