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इश्क़ ख़लीश निगाहों की 🙁 भुला के रंजिश-ओ-ग़म जिसे

इश्क़ ख़लीश निगाहों की 🙁

भुला के रंजिश-ओ-ग़म 
जिसे अपलक मैं जी न सकी

वो काफ़िर सी दास्तां
रूबरू जिंदगी की तरह है ।

तेरे इश्क़ की गहराई में 
डूबी रही कुछ इस तरह ।

तेरे लफ्ज़ भी न पढ़ सकी 
यूँ रुसवाईयाँ तुझ से मिली आ अब लौट चलें
इश्क़ ख़लीश निगाहों की 🙁

भुला के रंजिश-ओ-ग़म 
जिसे अपलक मैं जी न सकी

वो काफ़िर सी दास्तां
रूबरू जिंदगी की तरह है ।

तेरे इश्क़ की गहराई में 
डूबी रही कुछ इस तरह ।

तेरे लफ्ज़ भी न पढ़ सकी 
यूँ रुसवाईयाँ तुझ से मिली आ अब लौट चलें

आ अब लौट चलें