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तेरे इस शहर के कोलाहल से निकलने को जी चाहता है आज

तेरे इस शहर के कोलाहल से निकलने को जी चाहता है
आज फिर पुरानी राहों पर निकलने को जी चाहता है।

ऊब के दौर में, कतरा ए सुकूँ, तलाशने को जी चाहता है
कुछ दूर चली तन्हा तो जाना, कि क्या तलाशने को जी चाहता है।

पटरीयों सी बिखरी, यादों की गुल्लक तलाशने को जी चाहता है
बीते हुए लम्हों से, कुछ यादों के मोती तराशने को जी चाहता है।

आओ ना!...देखो तो कितना हसीं लगता है वो नज़ारा जब, 
शबनम के गिरते मोती, हाथों पर सँभालने को जी चाहता है। ♥️ Challenge-510 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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तेरे इस शहर के कोलाहल से निकलने को जी चाहता है
आज फिर पुरानी राहों पर निकलने को जी चाहता है।

ऊब के दौर में, कतरा ए सुकूँ, तलाशने को जी चाहता है
कुछ दूर चली तन्हा तो जाना, कि क्या तलाशने को जी चाहता है।

पटरीयों सी बिखरी, यादों की गुल्लक तलाशने को जी चाहता है
बीते हुए लम्हों से, कुछ यादों के मोती तराशने को जी चाहता है।

आओ ना!...देखो तो कितना हसीं लगता है वो नज़ारा जब, 
शबनम के गिरते मोती, हाथों पर सँभालने को जी चाहता है। ♥️ Challenge-510 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator