तेरी इक मुस्कान पर वार दूं तीन लोकों का धन तेरी सूरत देखूं जहां देखूं मैं प्रति क्षण मोहन तेरी बांसुरी की धुन को तरसें कर्ण बाकी जग बिसरूं मैं केवल तू रहे स्मरण तेरी मोहक कांति ऐसी फीका है हीरा स्वर्ण चक्षु तारों सम शीतल श्याम है वर्ण विस्तार ब्रह्मांड से बढ़कर थाह न पाए मन सुंदरता हर सौंदर्य से बढ़कर मोहित हुआ जन सूक्ष्म और विराट भी वास है तेरा हर कण ।। #nojotohindi#poetry#kavita#God#prayer