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वजूद कुछ भी नहीं है मेरा, तेरे बिना मेरे मालिक...

वजूद कुछ भी नहीं है मेरा, तेरे बिना मेरे 
मालिक...
तू है, तो मैं हूं, ये ही असलियत मेरे 
मालिक...
तेरी रहमतों के साए में ही इक-इक कदम बढ़ाया है मैंने
मेरी उंगली थाम कर तू ही तो मेरे साथ चला है मेरे मालिक...
कैसे नकार दूं तेरे प्यार को, तेरी परवाह को
तेरे इसी प्यार ने मुझे काबिल इंसान बनाया है मेरे 
मालिक...

चेतना विनय तिवारी

©Chetna Vinay Tiwari
  #शुक्रिया मालिक