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मन भी बेबस है इन घोड़ो की मानिंद माया से नियंत्रित

मन भी बेबस है इन घोड़ो की मानिंद
माया से नियंत्रित है मन की लगाम
अपेक्षाओं का बोझ ढोते ढोते
घोड़ा रूपी मन कहाँ करता है विश्राम।

©Kamlesh Kandpal
  #Mn