मेरे ख्वाब तुमसे अलग है,तो ये गुन्हा है देखता हु खुली आँखों से ख्वाब, ये गुन्हा है पिंजरा है जिंदगी, क्या फलक की चाहत गुना है मंज़िल से मोहोब्बत, रास्तो से वफ़ा, भी गुन्हा है ताने सुन के भी अदब मे रहना,क्या मेरा गुन्हा है लड़ते लड़ते थका नहीं,बता दो ये भी गुन्हा है मैंने तुमसे साथ माँगा नहीं क्या ये भी गुन्हा है तो मेरी गुन्हाओ की कतार लम्बी होंगी क्योंकि मेरी पहचान ही मेरा गुन्हा है क्योंकि मेरी पहचान ही मेरा गुन्हा है ©Er Atul Saini #Memories #StatusSayari #motivatestatus #never_give_up #MondayMotivation