जब रात का काला अंधेरा इतना काला था कि हम डरते थे कहीं वो हमें ही न निगल ले, पर साथ में जब तुम थे तो डर लगता न था। आखिर क्यों छोड़ गए उस अंधेरे में जिसे पार दोनों को करना था। क्या ज़हन में एक बार भी वो रात के वेहशी दरिंदे नहीं आए, जिनके डर से हम इस अंधेरे में जाने से डरते थे। क्या ये नहीं सोचा वो क्या हश्र करेंगे मेरा? कुछ रास्ते, कुछ सड़कें, कुछ मोड़ हमारे ज़ेहन में महफ़ूज़ हो जाते हैं। #khauf #अंधेरा #सूनीसड़क #rish #rishwrites #yqdidi ... YQ Sahitya पर पढ़ें हिंदी साहित्य की बेहतरीन रचनाएँ। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi