भले ही तुम्हे अहसास ना हो, पर ज़ख्म गहरे हैं। दुख इस बात का है , दिखाई नहीं देते। कोशिश की है दिखाने की, शब्दों में। कलम मेरी थोड़ी दिल की कमजोर है, गहरे जख्म लिखती ही नही। कागज जलने लगता है, इसलिए लिखती, कभी मिटाती है। शीतल रात में भी बड़ी जलन होती है। इंतजार है मेरी कलम को, की ज़ख्म हल्के होंगे। आओगे कभी मेरे जख्म भरने, कभी हिचकियों में भी बता दो। कलम टूट जाएगी मेरी, महगी है, तुम्हारे लिए नहीं। मुझे जन्म देने वालो को। चांदनी रात भी गहरे जख्मों को उकेरती है, अपने आप में। #MoonHiding