मैं वक्त को बर्बाद कर ऐसी बैठी हूं तेरे ख्यालों को लिए कुछ सोच लेती हूं क्यों मुझे मेरे वक्त की परवाह नहीं है इस वक्त के साथ भी शायद कुछ बदला नही है ये मैं कह रही हूं क्योंकि मुझे आशा है तुझे भी तो कहा हर कोई भाता है मगर अगर मिल जाए कोई मुझसे बेहतर इंतजार करे तुम्हारा वो हर वक्त रह - रह कर उस दिन तुम चले जाना अपनी नई "आकांक्षा" को पाने पर नहीं मिलेगा तुम्हे कोई, ये मेरा दिल अच्छी तरह जाने। #poem #aakankshatiwari