इस गुमसुम सी मुस्कुराहट के राज़ क्या हैं। कल तुमने मिलने कहा था पर आज क्या है। काफी देर से सुन रहा हूँ मैं बहुत ध्यान से। वो जो मीठी मीठी सी है वो आवाज़ क्या है। बहुत खूबसूरत दिखती हो तुम खुले बालों में। इस खूबसूरती का ये हुस्न-ए-अंदाज़ क्या है। एक नगमे की तरह मैं जिसे गुनगुना रहा हूँ। उस खूबसूरत सी ग़ज़ल के नए साज़ क्या हैं। कल ही तो कबूल किया था तुमने इश्क़ मेरा। फिर इस बेवजह की नाराज़गी के राज़ क्या है। तुम्हारी ये बेरुख़ी मुझे बहुत परेशान करती है। चेहरे की खोई रौनक की वजह आज क्या है। ♥️ Challenge-679 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।