तुम शायद किसी रूहानी ग़ज़ल सी, हर बार इक नए मायने के साथ। जब भी पढ़ता हूं रहता हूं परेशान, दर्द भी और दवा भी , और एक साथ। गम में देखू तो शुकून पड़ जाए, जैसे प्यासे को पानी की बू पड़ जाए। जैसे किसी मुसाफिर को मंजिल जाए या किसी भटकी कश्ती को किनारा। ©AshuAkela #mountain #Ashu $akela #Poetry #platform #SAD #status #story #Love #Shayar