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उसकी कदमों की आहट आज भी मेरे कानों में गुंजती रहती

उसकी कदमों की आहट आज भी मेरे कानों में गुंजती रहती है।
जिस से ओ हमें बुलाया करती थी।
और कहती थी न होंगे हम तुझसे जुदा
खुदा कसम।
ये अकसर मेरे कंधों मे सिर रख कर कसमें खाया करती थी।

©Ali Perwana कसमें खाया करती थी।
उसकी कदमों की आहट आज भी मेरे कानों में गुंजती रहती है।
जिस से ओ हमें बुलाया करती थी।
और कहती थी न होंगे हम तुझसे जुदा
खुदा कसम।
ये अकसर मेरे कंधों मे सिर रख कर कसमें खाया करती थी।

©Ali Perwana कसमें खाया करती थी।
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Ali Perwana

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