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आसान मंज़िल जो सोचूं वो पा जाऊं मगर मंजिल पर जाने क

आसान मंज़िल जो सोचूं वो पा जाऊं मगर
मंजिल पर जाने की ये डगर
देखो जो छोटी हो जाए अगर,
मगर, ये तो महज इत्तेफाक ही था
शायद बिन बादल बरसात ही था
मैं झूमूं नाचूं हो जाऊं मगन
मंजिल पर जाने की ये डगर
देखो जो छोटी हो जाए अगर

©Abhijeet Yadav
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