इंसान बनकर कुछ बड़ा कर जाऊँ जाने के बाद भी अपने को यहाँ पाऊँ ऐसे तो मेरे ख़्वाबों का अंत नहीं पर मन में छुपा है मेरे संत कहीं बड़ा इतना बड़ा हो जाऊँ जहाँ में सबसे छोटा बनकर मिलूँ जहाँ में धन दौलत और शोहरत फीकी लगे सारी दुनिया मुझको छोटी लगे बस इतना सा ख़्वाब है इन आँखों में सारे जहाँ का प्रेम रहे इन सांसों में ©Dinesh Kumar #myfantasy