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इंसान बनकर कुछ बड़ा कर जाऊँ जाने के बाद भी अपने को

इंसान बनकर कुछ बड़ा कर जाऊँ
जाने के बाद भी अपने को यहाँ पाऊँ

ऐसे तो मेरे ख़्वाबों का अंत नहीं
पर मन में छुपा है मेरे संत कहीं

बड़ा इतना बड़ा हो जाऊँ जहाँ में
सबसे छोटा बनकर मिलूँ जहाँ में

धन दौलत और शोहरत फीकी लगे
सारी दुनिया मुझको छोटी लगे

बस इतना सा ख़्वाब है इन आँखों में
सारे जहाँ का प्रेम रहे इन सांसों में

©Dinesh Kumar #myfantasy
इंसान बनकर कुछ बड़ा कर जाऊँ
जाने के बाद भी अपने को यहाँ पाऊँ

ऐसे तो मेरे ख़्वाबों का अंत नहीं
पर मन में छुपा है मेरे संत कहीं

बड़ा इतना बड़ा हो जाऊँ जहाँ में
सबसे छोटा बनकर मिलूँ जहाँ में

धन दौलत और शोहरत फीकी लगे
सारी दुनिया मुझको छोटी लगे

बस इतना सा ख़्वाब है इन आँखों में
सारे जहाँ का प्रेम रहे इन सांसों में

©Dinesh Kumar #myfantasy
dineshkumar5033

Dinesh Kumar

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Growing Creator