आसान मंज़िल तोड़ रहा हूं मोड़ रहा हूं ज़िन्दगी में सब कुछ छोड़ रहा हूं, और जितना हो सकता ज़िन्दगी में मेरी खुद को उतना निचोड़ रहा हूं। तब भी अगर बात ना बनी एक दफा ज़िन्दगी में मेरी, तो वक्त आने पर एक दिन ख़ुद को ख़ुद से छोड़ रहा हूं। लेकिन अभी चलते हालात में ख़ुद को निचोड़ रहा हूं.... ©Mahtab Khan #WForWriters