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गैरों को भी समझते थे अपना, मेरे अपने पराए हुए हैं।

गैरों को भी समझते थे अपना,
मेरे अपने पराए हुए हैं।
दर्द बतलाएं हम किसको कैसे?
जख्म अपनों से खाए हुए हैं।
लड़ते आए हैं हर मुश्किलों से,
पर ना हिम्मत रही बाद इसके,
यूं तो दिखते हैं हम मुस्कुराते,
दर्द दिल में छुपाए हुए हैं।
जो भी शामिल है इन साजिशों में,
बगल खंजर छुपाए हुए हैं।
हमने सोचा था है मेरे अपने,
हाथ दुश्मन से मिलाए हुए हैं।

©Vijay Vidrohi #feelingsad
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