क्या धरती बंजर कर मानोगे? दुःख का मंजर कब जानोगे? हे सर्वव्याप्त करुणानिधान! अब दमन-चक्र को दो विराम! है धरा शवों से पटी पड़ी चहुँ ओर है दिखती मौत खड़ी, इक आस लिए जिंदगी लड़ी अविलम्ब थमे मातम की घड़ी! है निष्ठुर और बेदर्द बड़ी ये महाकाल की दण्ड-छड़ी, हो बालक, बूढ़ा या जवान बिन भेद किये निर्मम है अड़ी! हे महाकाल! तत्काल सुनो डिगने को है विश्वास सुनो, है जग अधीर तुम हो विधान अब दमन-चक्र को दो विराम! 🙏 अब दमन-चक्र को दो विराम 🙏 #yqhindi #yqdidi #yqbaba #philosophy #coronavirus #aestheticthoughts #mahakal #poetry Image Credit: Pinterest