किसी और जुमले को दोहराना नही आता मुझे जज़्बात आते है ये इतराना नही आता कलम-कागज़ जो हो कुछ लकीरें खींच लेता हूँ मैं अपनी हद में हूँ सरहद का पैमाना नही आता बदलते है बड़ी तेजी से ये हालात आजकल न जाने क्यों मुझे ही ये बदल जाना नही आता ख्वाबों का ही चक्कर है जो सुबह आँख खुलती है मुझे अब जिंदगी जीने झूठा बहाना नही आता मुझे मालूम है मैं जो भी होता मैं नही होता ग़र मुझको नज़र हर रोज़ आईना नही आता #YourQuote पे खिचड़ी बन पाती है मुझसे #tiktok की बिरयानी को दम देना नही आता किसी और जुमले को दोहराना नही आता मुझे जज़्बात आते है ये इतराना नही आता कलम-कागज़ जो हो कुछ लकीरें खींच लेता हूँ मैं अपनी हद में हूँ सरहद का पैमाना नही आता बदलते है बड़ी तेजी से ये हालात आजकल न जाने क्यों मुझे ही ये बदल जाना नही आता