धरम।... लो आज मै सीना ठोक के कहता हूं। के सुलगते हर अंगार से कहता हूं। तू जद मे ना आ ए धरम के ठेकेदार, मै तुफानोंसे भरा समंदर बनके बहेता हूं।... तुझे गुरुर है तेरी जलन पे जितना, खुशबूनुमाइशमे उतना मै धूप जलाता हूं।... कवीराज 9021034917 dhram