कश्ती ये ख्यालों की यादों की दरिया के साथ बहे चली है तलाश में अपने महबूब के जमाने से लड़कर तनहा ही चले पड़ी है ना राह का पता है ना ही मंज़िल का जख़्म पर भी उसने कोशिश ना की मरहम लगाने की भूखे प्यासे , काँटों भरे राह पर बस चले पड़ी है कश्ती ये ख्यालों की यादों की दरिया के साथ बहे चली है बस बहे चली है @nainikajagat bas chale padi hai #allalone