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" अनिष्टकारी अभीप्सा " हमारी विनय है सुनो हे ! व

" अनिष्टकारी अभीप्सा " हमारी विनय है  सुनो  हे ! विधाता, 
हमें जिंदगी से अब आजाद कर दो.
नहीं चाहते हैं  जियें  एक  भी  दिन,
धरा से कहीं  ओर  आबाद  कर दो.

भला क्यों लिये धड़कनों को जियें हम,
क्या है कोई कारण जो सांसें सियें हम.
है  दुनिया  तुम्हारी   गमों  का  पुलिंदा,
" अनिष्टकारी अभीप्सा " हमारी विनय है  सुनो  हे ! विधाता, 
हमें जिंदगी से अब आजाद कर दो.
नहीं चाहते हैं  जियें  एक  भी  दिन,
धरा से कहीं  ओर  आबाद  कर दो.

भला क्यों लिये धड़कनों को जियें हम,
क्या है कोई कारण जो सांसें सियें हम.
है  दुनिया  तुम्हारी   गमों  का  पुलिंदा,