Nojoto: Largest Storytelling Platform

बने फिरते थे ख़ैरख्वाह जो क़ौम के मेरे दिया जला रह

बने फिरते थे ख़ैरख्वाह जो क़ौम के मेरे
दिया  जला  रहे हैं वो अब लाश पर मेरे
हम ने तो पूरअम्न माहौल बना रख्खा है
खुशियाँ  मना  रहे हैं वो हर बात पर मेरे

©अली आलवी"अल्फ़ाज़" #rekhta
बने फिरते थे ख़ैरख्वाह जो क़ौम के मेरे
दिया  जला  रहे हैं वो अब लाश पर मेरे
हम ने तो पूरअम्न माहौल बना रख्खा है
खुशियाँ  मना  रहे हैं वो हर बात पर मेरे

©अली आलवी"अल्फ़ाज़" #rekhta