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***बरखा में मिलन की आस *** आईल ई बरखा के बहार हो ,

***बरखा में मिलन की आस ***
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
निमन ना लागे ई फुहार हो
 पिया बिन मोर अंगनवा ।
 आईल इ कईसन बैरन बिपतिया, 
 बसवो न चले ,ना चले रेल गड़िया, 
 बीती जाई का सावन के खूमार हो,
 निक लागे ना अंगनवा। 
 आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
जब- जब बरसे ई बैरन बदरिया ,
तब -तब याद आवे पिया के सुरतिया, 
दिनवा त कट जाला कटे ना रतिया,
अब कैसे जियायी दिन -रात हो, 
बीतल जाला बरखा के महिनवा। 
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
बरसे ला बदरा त भीगे बदनवा, 
उपर से पुरूवा सिहरावेला तनवा , 
टूटेला देहिया, काटे दौरे बिछवनवा , 
कब अईहे सजना हमार हो, 
अब ई दरद ना सहाता। 
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
**नवीन कुमार पाठक ** #बरखा में मिलन की आस #
***बरखा में मिलन की आस ***
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
निमन ना लागे ई फुहार हो
 पिया बिन मोर अंगनवा ।
 आईल इ कईसन बैरन बिपतिया, 
 बसवो न चले ,ना चले रेल गड़िया, 
 बीती जाई का सावन के खूमार हो,
 निक लागे ना अंगनवा। 
 आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
जब- जब बरसे ई बैरन बदरिया ,
तब -तब याद आवे पिया के सुरतिया, 
दिनवा त कट जाला कटे ना रतिया,
अब कैसे जियायी दिन -रात हो, 
बीतल जाला बरखा के महिनवा। 
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
बरसे ला बदरा त भीगे बदनवा, 
उपर से पुरूवा सिहरावेला तनवा , 
टूटेला देहिया, काटे दौरे बिछवनवा , 
कब अईहे सजना हमार हो, 
अब ई दरद ना सहाता। 
आईल ई बरखा के बहार हो ,
पिया अईले ना घरवा।
**नवीन कुमार पाठक ** #बरखा में मिलन की आस #