डर मुझे भी लगता था फ़ासले देख कर, पर मैं बढ़ते गई रास्ते देखकर , मंजिल नजदीक आती गई मेरा साहस देखकर। हाफना और रुकना कभी चाहा नहीं, हॉ! मगर गिरी कई बार कुछ कदम चलने के बाद, पीछे मुड़ कभी देखा नहीं मंज़िल पे पहुँचने के बाद । " जीवन में हार तब हार बनती है , जब हम स्वयं अपने आप से हार जाते है ; अपने आप से जीतिए , जीत आपकी है "। हिमशिविका माहॠषी #goal #motivation