दीया किसी की चाहत का जला ना सकोगे मुझे चाहकर भी तुम कभी भूला ना सकोगे जब याद मेरी आयेगी तो रहोगे बेकरार तुम लाख कोशीश मे भी खूद को बहला ना सकोगे ये ईश्क है जान जावोगे जरूर एकदिन पर उस दिन मुझे तुम बुला ना सकोगे जबतक धडकन रहेगी दिल मे रहुंगा मै मेरी तरह तुम भी कभी खिलखिला ना सकोगे संजय अश्क बालाघाटी खिलखिला ना सकोगे