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इन किनारों पर भी कहाँ सुकून हैं जहाँ में ये अगन यह

इन किनारों पर भी कहाँ सुकून हैं जहाँ में
ये अगन यहाँ भी अगन ही देती हैं
पास वो थे तो हर लम्हा महकता था खुशियों से
अब तो विरह हैं 'अंजान' और विरह की वेदना ही सुनाई देती हैं।

©कवि: अंजान
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Love Shayari Poetry लव कविता शायरी

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