कभी मुझे अपना जीवन इस रेगिस्तान की तरह लगता है जहाँ मै रोज दिन मे तपता हूं और रात को इक लाश की तरह ठंडा होता हूं। कही कोई नही है दूर -दूर तक, पानी की इक बूंद जैसी आस भी नही है। विशाल तो हूं लेकिन रोज थपेडे खाता हूं,कभी गरम हवाओ की , कभी सर्द हवाओ की। बस है तो सिर्फ निराशा के बादल जिसमे आशा की बारिश नही। ©Singh Anusha Bi #Life is not easy for everyone