Nojoto: Largest Storytelling Platform

#First_Crush अरे बाबू आप कहाँ चले गए थे?पूरे बारह

#First_Crush
अरे बाबू आप कहाँ चले गए थे?पूरे बारह दिनों बाद आएं है... मैं रोजाना सुबह आपकी राह देखती थी,की आप चाय पीने आएंगे,मगर आप थे कि ईद के चाँद हो गए थे...अच्छा मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ
               प्याली भर के मत देना हर बार की तरह आज भी प्याली में ही छोड़ दूंगा और तुम्हें फेंकनी पड़ेगी ,दरअसल मैं शादी करने गया था कल ही वापस आया हूँ।
आपने शादी कर ली?
               क्यूँ नहीं करनी चाहिए थी?
नहीं मेरा मतलब आपने कुछ बताया नहीं।
                थोड़ी जल्दबाजी में हुई है बस कुछ ख़ास लोग ही शामिल होने आए थे।

चलिये कोई बात नहीं, शादी की ढेरों शुभकामनाएं, मगर मैं मैम से मिलना जरूर चाहूंगी,देखूं तो सही आपकी पसंद कैसी है...
             हां-हां क्यूँ नहीं वह मेरे साथ ही आई है हम कुछ खरीददारी करने निकले थे, वो यहीं शब्जी खरीद रही, मैने कहा तब तक चाय पी लेता हूँ,रुको अभी बुला के लाता हूँ।फिर चाय पिऊंगा।
 
(कुछ देर बाद)
आजा रज्जो मिल ले अपनी मैम से,और मेरी चाय भी ले आना...
         अरे निधि...यह है तेरी चाय की दुकान?
निधि कौन निधि?इसका नाम रज्जो है तुम्हें जरूर कोई धोखा हुआ है,यह यहां चाय बनाती है, मैं रोज ऑफिस जाने से पहले यहां से चाय पीकर जाता हूँ, इतनी अच्छी चाय बनाती है कि पूरे दिन ऐसा लगता है जैसे मुँह में किसी ने शहद की चाशनी घोल रखी हो...
         हा हा हा दोखा मुझे नहीं आपको हुआ है, यह रज्जो नहीं मेरी बेस्ट फ्रेंड निधि है, मामला यह है कि साहबजादी को किसी बाबू से प्यार हो गया है.. हां बाबू.. बेचारी को अभी तक उनका नाम भी नहीं पता पहली बार शायद इसी चाय की दूकान पर देखा था उसे फिर कुछ दिनों तक ऐसे ही छुप-छुपकर देखती रही,और तो और यह दुकान भी इसकी नहीं है, यहां तो कोई बूढ़ी अम्मा बैठती थी,फिर उनको इसने पटाया रोज के 100 रुपये पर और यहां उनकी बेटी बनकर चाय बेचती है रोज सुबह आठ से नौ बजे तक क्योंकि इसी समय के दौरान इसके बाबू आते है चाय पीने,यह तो बेचारी बहुत अच्छे घर की है और यहां नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है, बेचारी की इश्क़ ने कैसी हालत कर दी है,और एक बात यह जानबूझकर उस अपने बाबू को पूरी प्याली भर के चाय देती है, जबकि वह इतनी चाय पीते ही नहीं, तो थोड़ी सी चाय वह रोज प्याली में ही छोड़ देते है, और यह उनकी जूठी चाय पी लिया करती है... वाह! मान गए क्या इश्क़ है.. सज़दे है ऐसे इश्क़ के...फिक्र न कर मेरी जान वो बाबू जरूर तेरा छोना-बाबू बनेगा, तुझसे कुछ नहीं होने वाला,अब मैं आ गई हूं न मैं बात करूँगी,कल मिलते है, अभी बहुत काम है, मैं चलती हूं,थोड़ा टमाटर खरीदना है,आप भी आ जाओ।
     (निधि चाय की प्याली बाबू से ले लेती है, हर बार की तरह आज भी उसमें दो घूँट चाय बची हुई है,निधि उसे पी लेती है, बाबू एकटक उसे देखे जा रहे है,मगर आज उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने कोई नीम का कड़वा घूँट पी लिया हो)
                                               #नाथ #Love
#First_Crush
अरे बाबू आप कहाँ चले गए थे?पूरे बारह दिनों बाद आएं है... मैं रोजाना सुबह आपकी राह देखती थी,की आप चाय पीने आएंगे,मगर आप थे कि ईद के चाँद हो गए थे...अच्छा मैं आपके लिए चाय बनाती हूँ
               प्याली भर के मत देना हर बार की तरह आज भी प्याली में ही छोड़ दूंगा और तुम्हें फेंकनी पड़ेगी ,दरअसल मैं शादी करने गया था कल ही वापस आया हूँ।
आपने शादी कर ली?
               क्यूँ नहीं करनी चाहिए थी?
नहीं मेरा मतलब आपने कुछ बताया नहीं।
                थोड़ी जल्दबाजी में हुई है बस कुछ ख़ास लोग ही शामिल होने आए थे।

चलिये कोई बात नहीं, शादी की ढेरों शुभकामनाएं, मगर मैं मैम से मिलना जरूर चाहूंगी,देखूं तो सही आपकी पसंद कैसी है...
             हां-हां क्यूँ नहीं वह मेरे साथ ही आई है हम कुछ खरीददारी करने निकले थे, वो यहीं शब्जी खरीद रही, मैने कहा तब तक चाय पी लेता हूँ,रुको अभी बुला के लाता हूँ।फिर चाय पिऊंगा।
 
(कुछ देर बाद)
आजा रज्जो मिल ले अपनी मैम से,और मेरी चाय भी ले आना...
         अरे निधि...यह है तेरी चाय की दुकान?
निधि कौन निधि?इसका नाम रज्जो है तुम्हें जरूर कोई धोखा हुआ है,यह यहां चाय बनाती है, मैं रोज ऑफिस जाने से पहले यहां से चाय पीकर जाता हूँ, इतनी अच्छी चाय बनाती है कि पूरे दिन ऐसा लगता है जैसे मुँह में किसी ने शहद की चाशनी घोल रखी हो...
         हा हा हा दोखा मुझे नहीं आपको हुआ है, यह रज्जो नहीं मेरी बेस्ट फ्रेंड निधि है, मामला यह है कि साहबजादी को किसी बाबू से प्यार हो गया है.. हां बाबू.. बेचारी को अभी तक उनका नाम भी नहीं पता पहली बार शायद इसी चाय की दूकान पर देखा था उसे फिर कुछ दिनों तक ऐसे ही छुप-छुपकर देखती रही,और तो और यह दुकान भी इसकी नहीं है, यहां तो कोई बूढ़ी अम्मा बैठती थी,फिर उनको इसने पटाया रोज के 100 रुपये पर और यहां उनकी बेटी बनकर चाय बेचती है रोज सुबह आठ से नौ बजे तक क्योंकि इसी समय के दौरान इसके बाबू आते है चाय पीने,यह तो बेचारी बहुत अच्छे घर की है और यहां नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है, बेचारी की इश्क़ ने कैसी हालत कर दी है,और एक बात यह जानबूझकर उस अपने बाबू को पूरी प्याली भर के चाय देती है, जबकि वह इतनी चाय पीते ही नहीं, तो थोड़ी सी चाय वह रोज प्याली में ही छोड़ देते है, और यह उनकी जूठी चाय पी लिया करती है... वाह! मान गए क्या इश्क़ है.. सज़दे है ऐसे इश्क़ के...फिक्र न कर मेरी जान वो बाबू जरूर तेरा छोना-बाबू बनेगा, तुझसे कुछ नहीं होने वाला,अब मैं आ गई हूं न मैं बात करूँगी,कल मिलते है, अभी बहुत काम है, मैं चलती हूं,थोड़ा टमाटर खरीदना है,आप भी आ जाओ।
     (निधि चाय की प्याली बाबू से ले लेती है, हर बार की तरह आज भी उसमें दो घूँट चाय बची हुई है,निधि उसे पी लेती है, बाबू एकटक उसे देखे जा रहे है,मगर आज उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने कोई नीम का कड़वा घूँट पी लिया हो)
                                               #नाथ #Love