कूछ खास हो जाने लगे धीरे-धीरे वो मेरे दिल को भाने लगे तन्हा होती हूँ जरा भी मै धीरे-धीरे वो पास अपने बूलाने लगे कैसे करूँ यकीन मै धीरे-धीरे वो मूझ से नाराज रहेने लगे कहाँ ढूंढू गली गली मैं धीरे-धीरे वो मूझ से लूका छिपी रहेने लगे बहूत बाते होती है अकसर उनसे धीरे-धीरे वो मूझे अनदेखा करने लगे मेरा प्यार एक तरफा ही सही लगा यूँ आज धीरे-धीरे वो भी मूझे दिल से चहाने लगे । (चाँदनी) ©Sangeeta Verma धीरे-धीरे