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जब भी मैंने चाहा अपनी चाहत का यकीन दिला दूं, कभी भ

जब भी मैंने चाहा अपनी चाहत का यकीन दिला दूं,
कभी भी वक्त ने मेरा वक्त पर साथ ही नहीं दिया।
जब जब भी मैंने चाहा कि अब मैं तुझको भुला दूं,
कभी तूने कभी तेरी चाहत ने भुलाने ही नहीं दिया। 👉🏻 प्रतियोगिता- 735
विषय 👉🏻 🌹"मैंने चाहा"🌹
🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I

🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
जब भी मैंने चाहा अपनी चाहत का यकीन दिला दूं,
कभी भी वक्त ने मेरा वक्त पर साथ ही नहीं दिया।
जब जब भी मैंने चाहा कि अब मैं तुझको भुला दूं,
कभी तूने कभी तेरी चाहत ने भुलाने ही नहीं दिया। 👉🏻 प्रतियोगिता- 735
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