मेरी नयी कविता - " जीवन पथ की अब राह आसान न होगी " मैं सोच रहा हूँ जीवन पथ की अब राह आसान न होगी ; लक्ष्य अनेक दिखेंगे हमको पर तीर कमान न होगी ; विचारों की विविधता होगी असत्य का बोल बाला होगा - खड़ा रहेगा शव बनकर सत्य ग़र श्वास कमान न होगी ; मन , मदिरा , मधुशाला के पथ की राह अनजान न होगी ; जीवन की कठिनाई में कोई परिछायीं साथ न होगी ; न दिखेगा उगा दिनकर प्यारा अब निशा एकांत न होगी ;