कल तक जो सुकून से थे, गुस्सा -घृणा के आग आज, दिल में सुलगाए बैठे हैं। अनजाने में ही सही, पर खुद को कष्ट देने के, उपाय किए बैठे हैं। कुछ हासिल नहीं होता, गड़े मुर्दे उखाड़कर, वो बसे रिश्तें बिगाड़ने के, जुगाड किए बैठे है।। ©Tej Pratap #जिंदगी #Jindagi #शायरी #Chess