वो नजरो की तलवार लिए बैठे थे ऐसी खता हो गई हमसे आँखों से आँखे मिला बैठे. कत्ल कर दिया हमारे जज्बातो का वो किसी और से आँखे लड़ा बैठे थे, मैं रह गया दंग देखकर उनको जुल्फों की आड़ में नजरो की नजाकत से कत्लेआम सा मचा रखा है जहरीली हो गई थी उनकी नजर जिसको देखा वो वही मारा गया उनके लबो से जो शबाब टपक रही थी दिल शराबी हो गया टपकती शराब पिने को बैचेन हो गया ज़ालिम ने दो घुट भी ना पिने दिए क्या क़यामत आन पड़ी हम पर ज़ालिम ने महखाना ही बंद कर दिया राजोतिया भुवनेश ©Rajotiya Bhuwnesh jangir #नजरो की नजाकत #Light