हमेशा से मुझे तुमसे मोहब्बत थी, पर तुम कभी उस मोहब्बत पर ऐतबार कर ना पाये, हमेशा मेरी नजरें तुमसे बेशुमार इश्क़ की दास्तां कहती, और तुम कभी नजरों की भाषा समझ ना पाये, मैं हमेशा तुम्हारे साथ होना चाहती थी, और तुम हमेशा दूसरों के साथ ही मुझे नजर आए, मैंने तो तुमसे कभी कोई शिकवा भी नहीं की, पर मेरी बातों में भी तुमको हमेशा शिकायत ही नजर आयी, प्यार जताकर हमेशा दिल में नफरत ही रखा, शायद तभी मेरा एकतरफा इश्क़ मुक्कमल ना हो पायी।।