"I Remember" याद हैं आज भी घर के पास लगा वो शेहतूत का पेड़ और बचपन में उस पेड़ पर चड़ना , उस पर झूला डालना । जब भी बचपन में मन उदास होता या भाई / बहन से झगड़ा होता, उस पर ही जा कर बैठ रो लिया करते थे, हाँ वो ही तो था एक हमारा अपना दोस्त, हमारे मन को सुकून पहुंचाने वाला । हाँ याद हैं वो बचपन का घर- घर खेलना, टीचर बनना, चटाई से खुद का एक घर बनाना, खिलौने वाले बरतनों में खाना बनाना, हाँ सब "याद" है और अब सब बस एक "याद" ही तो बन गया है। 8/10/24 ⏰6:18 p. m. (उबैदा खातून सिद्दिकी S) ✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui "I remember" #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts #ahsaaskealfaaz नये अच्छे विचार आज का विचार