तेरे बाद, तेरी गली में कल जाना हुआ, दूर से दिखा खालीपन, और हर शख्स बेगाना हुआ l तुम्हारे आँगन में लगे पेड़, तुम्हारे बिन बेजान हुए l ऐसा सुना-पन जैसे, कई अरसा हुआ अजान हुए l तुम्हारे घर को बाहर से, लगातार झाँकता रहा l किसी को देखा, देखते आज भी, तो मोड़ ली नज़र, कोई समझ ना ले, मैं क्या आंकता रहा l वो खिड़की जिससे कभी झाँकती हो तुम भी, उधर मैं टक-टका के देखता रहा l #यादशहर में यूँही कई रात भटकता रहा, किसी गली तुम मिल जाओ, ये सोचता रहा l ©मुखौटा a hidden feelings तेरे बाद, तेरी गली में कल जाना हुआ, दूर से दिखा खालीपन, और हर शख्स बेगाना हुआ l तुम्हारे आँगन में लगे पेड़, तुम्हारे बिन बेजान हुए l ऐसा सुना-पन जैसे, कई अरसा हुआ अजान हुए l