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तेरे बाद, तेरी गली में कल जाना हुआ, दूर से दिखा खा

तेरे बाद,
तेरी गली में कल जाना हुआ,
दूर से दिखा खालीपन,
और हर शख्स बेगाना हुआ l
तुम्हारे आँगन में लगे पेड़,
तुम्हारे बिन बेजान हुए l
ऐसा सुना-पन जैसे,
कई अरसा हुआ अजान हुए l
तुम्हारे घर को बाहर से,
लगातार झाँकता रहा l
किसी को देखा, देखते आज भी,
तो मोड़ ली नज़र,
कोई समझ ना ले, मैं क्या आंकता रहा l
वो खिड़की जिससे कभी झाँकती हो तुम भी,
उधर मैं टक-टका के देखता रहा l
#यादशहर में यूँही कई रात भटकता रहा,
किसी गली तुम मिल जाओ, ये सोचता रहा l

©मुखौटा a hidden feelings तेरे बाद,
तेरी गली में कल जाना हुआ,
दूर से दिखा खालीपन,
और हर शख्स बेगाना हुआ l
तुम्हारे आँगन में लगे पेड़,
तुम्हारे बिन बेजान हुए l
ऐसा सुना-पन जैसे,
कई अरसा हुआ अजान हुए l
तेरे बाद,
तेरी गली में कल जाना हुआ,
दूर से दिखा खालीपन,
और हर शख्स बेगाना हुआ l
तुम्हारे आँगन में लगे पेड़,
तुम्हारे बिन बेजान हुए l
ऐसा सुना-पन जैसे,
कई अरसा हुआ अजान हुए l
तुम्हारे घर को बाहर से,
लगातार झाँकता रहा l
किसी को देखा, देखते आज भी,
तो मोड़ ली नज़र,
कोई समझ ना ले, मैं क्या आंकता रहा l
वो खिड़की जिससे कभी झाँकती हो तुम भी,
उधर मैं टक-टका के देखता रहा l
#यादशहर में यूँही कई रात भटकता रहा,
किसी गली तुम मिल जाओ, ये सोचता रहा l

©मुखौटा a hidden feelings तेरे बाद,
तेरी गली में कल जाना हुआ,
दूर से दिखा खालीपन,
और हर शख्स बेगाना हुआ l
तुम्हारे आँगन में लगे पेड़,
तुम्हारे बिन बेजान हुए l
ऐसा सुना-पन जैसे,
कई अरसा हुआ अजान हुए l