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बातों बातों में हंस पड़े यादों यादों में तुम खड़

बातों बातों में हंस पड़े
  यादों यादों में तुम खड़े
  चाहत का पेड़ उगाया है
  छांव क्या तेरा साया है
  दिन और रात एक जैसे
  ख़्वाब ना पूंछे कैसे कैसे
  थोड़ा थोड़ा हवा भिगोयें
  चांदनी के सुलगते रेशे
  सागर जैसे उस पार बुलाएं
  फ़ूल जितने बाहें फैलाएं
  मैं पर्वत के कानों में बोलूं
  वो धीमा सुर तेज़ दोहराए
  यूं तारों सा संग संग चलना
  मैं तन्हा हूं कभी लगा नही
  मैंने बहुत समझाया सबको
  तू है कोई ये मानता ही नहीं
  कोई फ़र्क नही पड़ता फ़िर
  दिल जानता है काफ़ी है यही

©Surendra Singh तेरी मेरी बातें होती, या मैं जानू या
दिल जानें ,दिल भी तोह तू ही है 🌷
बातों बातों में हंस पड़े
  यादों यादों में तुम खड़े
  चाहत का पेड़ उगाया है
  छांव क्या तेरा साया है
  दिन और रात एक जैसे
  ख़्वाब ना पूंछे कैसे कैसे
  थोड़ा थोड़ा हवा भिगोयें
  चांदनी के सुलगते रेशे
  सागर जैसे उस पार बुलाएं
  फ़ूल जितने बाहें फैलाएं
  मैं पर्वत के कानों में बोलूं
  वो धीमा सुर तेज़ दोहराए
  यूं तारों सा संग संग चलना
  मैं तन्हा हूं कभी लगा नही
  मैंने बहुत समझाया सबको
  तू है कोई ये मानता ही नहीं
  कोई फ़र्क नही पड़ता फ़िर
  दिल जानता है काफ़ी है यही

©Surendra Singh तेरी मेरी बातें होती, या मैं जानू या
दिल जानें ,दिल भी तोह तू ही है 🌷
surendrasingh6691

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