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जीत में साथी थे जिनके, हार में, क्यों अकेला छोङ दे

जीत में साथी थे जिनके,
हार में, क्यों अकेला छोङ दें।
विफलता का ठीकरा ,
किसी एक पर क्यों फोङ दें।
पहले भी दो दो बार ,
जीते हैं हमने ऐसे कप,
इस हार से कुछ  लें सबक ,
नई उम्मीदों से जोङ दें।
खेल को बस खेल ही, 
रहने दो प्यारे साथियों ।
आओ इस सन्नाटे का रुख
किसी और दिशा मे मोङ दें।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
  #IndvsAusLiveMatch
आगे की सुध ले

#IndvsAusLiveMatch आगे की सुध ले #कविता

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