आज मैंने आबरू को सरे बाजार नीलाम होते देखा है, बिन हवा के ही दिए को बुझते देखा है, आज मैंने आबरू को सरे बाजार नीलाम होते देखा है, थी वो नकाब मे बहुत ही खूबसूरत, वही खूबसूरती को दागदार होते देखा है, दो पल मिलने वाली ख़ुशी के लिए खुद को दरिंदगी के हवाले करते देखा है.... ! आज मैंने आबरू को सरे बाजार नीलाम होते देखा है.... भाई का सर और बाप की पगड़ी को भरे समाज में तारतार होते देखा है... आज मैंने आबरू को सरे बाजार नीलाम होते देखा है.... Aabari