धुँध *** आँखों से उतर कर गालों पे ठहर गया ज्यों बहा कर आधी काजल फ़िज़ाओं में साँसों की लकीरें दिखने लगी सफ़ेद और कुछ दिखता न था छुपा है कौन फ़ैली हुई आधी काजल के लिहाफ़ में ठिठके हुए कुछ अहसास होंगे और ठहरा हुआ कुछ उम्मीद का धुआँ. ©malay_28 #धुँध #Nature