'शिव' मात्र एक उच्चारण नहीं, एक ऊर्जा है.. ध्यान है। भाषा विज्ञान का ऊर्जा से बहुत ही गहरा सम्बन्ध है। दूसरे शब्दों में कहें तो चेतना का मानवीकरण ही भाषा है।
उन भाषाओँ में कुछ शब्द इतने विस्फोटक होते हैं जो आपके अंतर्मन में शक्तिशाली ऊर्जा का संचार करते हैं। भाषाओँ की अलग अलग विधाओं में 'ध्यान' भी एक भाषा है जो कि परिवर्तित होती है एक 'बीज' में और बीज एक सम्भावना बनता है वृक्ष होने का।
हमारी जीवनशैली में स्त्रीगुण, शक्ति का पर्याय माना जाता है। 'शिव' में 'शि' ध्वनि, शक्ति को सूचित करती है। इसका मूल अर्थ ऊर्जा है। लेकिन, मात्र इस अक्षर की आवृत्ति असंतुलन का कारण भी बन सकती है इसलिए इसके संतुलन हेतु इसमें 'व' जोड़ा गया। 'व' अक्षर 'वाम' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'प्रवीणता'।
'शिव' में जहाँ एक अंश उसे ऊर्जा देता है तो ठीक वहीँ दूसरा अंश उस ऊर्जा को संतुलित और नियंत्रित करता है। ऊर्जा का संतुलन ही सफलता है और ऊर्जा का निर्माण परमात्मा से मिलने का एक प्रयत्न।
#Books