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उम्मीदों के दीप जलाये बैठे हैं गहन तिमिर में प्रीत

उम्मीदों के दीप जलाये बैठे हैं गहन तिमिर में प्रीत निभाये बैठे हैं 
गैरों से क्या आस करें अपनेपन की अपनों से ही यहाँ सताये बैठे हैं 
- Rahul Kavi Umido ke deep jlaaye..
उम्मीदों के दीप जलाये बैठे हैं गहन तिमिर में प्रीत निभाये बैठे हैं 
गैरों से क्या आस करें अपनेपन की अपनों से ही यहाँ सताये बैठे हैं 
- Rahul Kavi Umido ke deep jlaaye..
rahulkavi4076

Rahul Kavi

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